
अमेरिका के राष्ट्रपति और ट्रुथ सोशल के स्थायी निवासी डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर विश्व राजनीति को ट्वीट-टाइप धमकी से हिला दिया है। इस बार निशाने पर है अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस, जिसे 2021 में अमेरिका ने चुपचाप छोड़ दिया था — और अब ट्रंप कह रहे हैं:
“We want it back. Peacefully… or forcefully!”
मतलब, चीजें मांगने का अमेरिकी तरीका अब भी वही है – धमकी दे दो, वरना ले लो।
बगराम: सिर्फ एयरबेस नहीं, ट्रंप की इगो का बेस
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने Truth Social पर लिखा कि बगराम एयरबेस “दुनिया के सबसे बड़े और रणनीतिक ठिकानों में से एक” है, और यह चीन के न्यूक्लियर साइट्स के पास है। सीधे शब्दों में — “भैया, वो जगह हमें फिर से चाहिए, वरना हालात खराब होंगे!”
तालिबान का जवाब: “जमीन हमारी है, धौंस तुम्हारी है”
तालिबान सरकार ने इस धमकी को कुछ खास तवज्जो नहीं दी है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर मुत्तकी ने दो टूक कहा- “हम अपनी जमीन पर किसी भी विदेशी सेना की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
मतलब, ट्रंप की धमकी को “बाइट टू टाइटल” समझा गया है — मीडिया के लिए मसाला, जमीन के लिए नहीं।
ट्रंप का राजनयिक रिवेंज या चुनावी स्टंट?
ट्रंप को अब शायद याद आया कि जब ‘सबसे बड़ी मिलिट्री डील’ के साथ अफगानिस्तान छोड़ा था, तो बगराम भी वहीं छूट गया था। अब वही पुराना मुद्दा, नया एंगर मैनेजमेंट टूल बन गया है। और जब 2024-25 में अमेरिका में फिर चुनाव की हवा बहेगी, तो ट्रंप के लिए सबसे आसान नारा होगा “Make Bagram Ours Again!”
चीन का रिएक्शन: “भाई साहब, ज़्यादा मत उड़ो”
चीन ने ट्रंप के बयानों को तुरंत खारिज कर दिया। उनके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा:

“अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान ज़रूरी है। हर जगह अमेरिका की नहीं चल सकती।”
मतलब साफ है — बगराम पर अमेरिका की दाल फिलहाल चीन के नमक से नहीं गल रही।
अमेरिकी कांग्रेस: दो फाड़, पर ट्रंप के साथ
कुछ अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप के बयान को “रणनीतिक और देशहित में” बताया है। बाकी बस ट्विटर पर #BagramBack ट्रेंड करवा रहे हैं।
यह वही कांग्रेस है, जो पिछले साल बर्गर पर डिबेट कर रही थी, अब बगराम मांग रही है।
बगराम, ट्रंप और तालिबान — एक नया सीज़न शुरू हो चुका है
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान सिर्फ अफगानिस्तान के लिए नहीं, बल्कि उनके अपने राजनीतिक रिवाइवल ड्रामा का ट्रेलर है। इसमें थ्रिल है, थ्रेट है, और ट्रम्पिज्म का वही पुराना स्वाद — “मैं जो छोड़ दूं, वो भी मेरा है”।
ओपन लेटर टू आनंद महिंद्रा: थार के दीवानों ने सड़क को रनवे बना डाला!